कुंदन कुमार/गया: बिहार के गया का तिलकुट पूरे भारतवर्ष में प्रसिद्ध है. गया में कई तरह के तिलकुट बनाए जाते हैं, जिसमें चीनी, गुड़ और खोया का तिलकुट प्रमुख है. हालांकि पिछले साल से गया में तिलकुट में एक नया प्रयोग किया जा रहा है. अब नीरा से तिलकुट तैयार किया जा रहा है. गया के बोध गया प्रखंड क्षेत्र के इलरा गांव के रहने वाले डब्लू कुमार ने नीरा से तिलकुट बनाने की शुरुआत की है. वह पिछले साल से नीरा से तिलकुट बना रहे हैं. यह तिलकुट स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक माना जाता है. कहा जाता है कि नीरा का तिलकुट डायबिटिक पेशेंट भी खा सकते हैं.
नीरा से तिलकुट तैयार करने के लिए सबसे पहले नीरा को गरम किया जाता है. उससे गुड़ तैयार किया जाता है. गुड़ तैयार होने के बाद तिल के साथ मिलाया जाता है. फिर इसे कूटा जाता है. बता दें कि डब्लू गया के पहले व्यक्ति हैं, जो कि नीरा से तिलकुट के अलावा लाई, पेड़ा और लड्डू भी बनाते हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले साल डब्लू कुमार घर पहुंचे थे और नीरा से तैयार लड्डू, पेड़ा, लाई और तिलकुट बनाने का पूरा प्रोसेस देखा था.
नीरा वाले तिलकुट की खूब है डिमांड
डब्लू कुमार ने बताया कि नीरा से तैयार तिलकुट की डिमांड खूब हो रही है. बोधगया महाबोधि मंदिर के सामने नीरा काउंटर खोला गया है. वहीं पर नीरा से तैयार सभी प्रोडक्ट की बिक्री होती है. नीरा वाला तिलकुट अन्य तिलकुट के मामले में ज्यादा महंगा है. इसकी कीमत 400 रुपये प्रति किलो है. जबकि अन्य तिलकुट की कीमत 300 से लेकर 380 रुपये प्रति किलो है. डायबीटिक पेशेंट के अलावा बोधगया में आने तमाम विदेशी पर्यटक भी इस तिलकुट को पसंद कर रहे हैं. नीरा से गुड़ बनाने के लिए जीविका से प्रशिक्षण दिया गया था.
नीरा उत्पादन के मामले में गया अव्वल
गौरतलब है बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्ष 2016 में पूरे राज्य में शराबबंदी लागू की थी. उसके बाद नीरा को प्रमोट करने के लिए योजना बनाई थी. आज नीरा उत्पादन के मामले में गया जिला पूरे बिहार में सबसे अव्वल है. वर्ष 2023 में गया जिले में लगभग 20 लाख लीटर नीरा का उत्पादन किया गया था. नीरा की बिक्री के लिए गया जिले के विभिन्न प्रखंड क्षेत्र में 100 से अधिक नीरा काउंटर खोले गए थे. हालांकि लोगों ने इसमें कम दिलचस्पी दिखाई और कई नीरा काउंटर बंद हो गएथे. इस बीच मकर संक्रांति को देखते हुए डब्लू कुमार ने नीरा से तिलकुट बनाने का फैसला लिया है और उनकी मेहनत रंग ला रही है. नीरा औषधिय गुणों से भरपूर है, लेकिन इसे सूर्य के निकलने के बाद पीने पर नशा चढ़ जाता है. आम बोलचाल में बिहार में इसे ताड़ी कहते हैं.
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FIRST PUBLISHED : January 2, 2024, 11:47 IST